हिंसा सिखा रही है शिक्षा ?
जोधपुर में एक मामूली विवाद के लिए एक छात्र ने दूसरे पर बंदूक तान
दी। अब सवाल है कि क्या शिक्षा के मंदिर में हिंसा का पाठ पढ़ाया जा रहा है...या
फिर ये तालीम घर-घर की है। सवाल ये भी है कि क्या हमारा समाज ही इतना भड़कीला हो
चला है कि बच्चे भी अब हमेशा तेवर में रहते हैं।
छठी के छात्र ने क्यों तानी बंदूक ?
ज्ञान का प्रवाह अब हिंसक हो चला है या सृजन के
स्रोत में ही खोट है...या फिर बेहतर शिक्षा व्यवस्था और तालीम के बीच दावों की
धज्जियां उड़ रही है। बाल दिवस पर बच्चों में संस्कार को बढ़ावा देने के लिए
जोधपुर के पावटा बी रोड़ पर नोबल इंटरनेशनल स्कूल में मेले का आय़ोजन किया गया
था...बच्चों के मनोरंजन के लिए तरह तरह के स्टॉल लगे थे...एक स्टॉल बैलून शूटिंग
का भी था...लेकिन मौज मौस्ती के बीच एक छात्र दूसरे का दुश्मन बन बैठा।
शिक्षा के मंदिर से खत्म हो रहा व्यवहारिक ज्ञान?
विवाद की शुरुआत से पहले दो छात्रों के बीच मौज
मस्ती की अदला बदली हुई थी...एक ने कोल्डड्रिंक पिलाने के बदले एयरगन से बलून को
शूट करवाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन कोल्डड्रिंक पीने के बाद उसने अपना वादा
नहीं निभाया...लिहाजा पहले छात्र ने दूसरे छात्र पर एयरगन तान दी और फायर भी कर
दिया...पूरे वाकये में एक छात्र के सिर में छर्रा तीन इंच धस गया...जिसके बाद उसे
अस्पतला में भर्ती वरवाना पड़ा....लेकिन आपको हैरानी होगी कि ये हिंसक रूप छठी
क्लास में पढ़ने वाले छात्र ने दिखाई थी।
हिंसा के लिए गुनहगार कौन ?
वीओ पूरे वाकये के बाद महामंदिर थाने में
विद्यालय संचालन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कराया गया है। लेकिन सवाल कि
छात्रों पर हावी होती हिंसक प्रवृति का जिम्मेदार कौन है...वो परिवार जो बच्चों
में शांति की भावना नहीं जगा सके...वो ज्ञान का मंदिर जो शांति का पाठ नहीं पढ़ा
सका या फिर हमारा समाज ही है तो हर वक्त हमेशा तेवर में रहता है।
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