वर्दी भूल गई अपना सम्मान ?
क्या सत्ता बदलने के साथ ही खाकी की निष्ठा बदल जाती है या वर्दी सत्ता
शिरोमणी की तलाश में रहती है। ये सवाल इसलिए क्योंकि सूबे और केंद्र में सत्ता बदले
के बाद वर्दी की नई आस्था परिभाषित हुई है। अजमेर के ASP, संघ नेता के चरणों
में साष्टांग दिखाई दे रहे हैं। अब सवाल है कि वर्दी की निष्ठा संघ में होगी तो
अंजाम क्या होगा।
संघ(RSS) ही
सर्वोच्च है ?
देश आजाद हुआ तो सियासी तंत्र बदल गया और बदल दिए गए प्रशासनिक तंत्र...लेकिन
किसी ने भी आजादी से पहले ये नहीं सोचा था कि गुलाम मानसिकता बदलने में कई दशक लग
जाएंगे...फिर भी गारंटी नहीं दी जा सकती कि हम आजाद ख्यालों में अपने सपने सजों
सकते हैं...और देश के पहरेदार हमारी हकीकत की हिफाजत में तत्पर रहेंगे। सत्ता
बदलते, हमने और आपने साथ देखा अब अस्था की नई तस्वीर सामने आई है।
संघम् शरणम् गच्छामि !
तस्वीर अजमेर की है...एक तरफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता इंद्रेश
कुमार हैं तो दूसरी तरफ चरण वंदना की होड़ मची है...बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद
लेना हमारी संस्कृति भी है और परंपरा भी लेकिन खाकी को साष्टांग होते देख ऐसा लगता
है कि शायद लोकतंत्र में नई परमपरा परिभाषित की जा रही है। अजमेर शहर के ASP शरद चौधरी को शायद
इस बात की खबर लग गई है कि सत्ता का संचालन संघ से होता है...नहीं तो शायद वो
इंद्रेश कुमार के सामने साष्टांग नहीं होते।
अगर झुकती रही खाकी यूं ही
तो न बन जाए ‘खादी’ की जूती समान
सत्ता और खादी के सामने खाकी को नतमस्तक होते अपने कई बार देखा होगा...लेकिन
अब सत्ता के केंद्र बिंदु की तलाश कर शायद उसे नमन करने की कोशिश हो रही है। लेकिन
सवाल है कि अगर वर्दी की निष्ठा संघ में होगी तो अंजाम क्या होगा।
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