I stared my carrier as a foolish, but want to finish as a legend. I always wanted to write for you and always for you.
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Monday 24 November 2014
वो इतना बेरहम था !
Saturday 22 November 2014
10 रुपए का लालच देकर रेप
सीकर में इंसानियत
की सारी हदें पार कर दी गई...पूरे इलाके की आंखें फटी की फटी रह गई...क्योंकि सीकर
के फतेहपुर में 10 रुपए देकर एक शख्स पर हैवानियत इस कदर छाई कि वो मासूम की इज्जत
का मुजरिम बन गया।
इससे ज्यादा खौफनाक
कुछ नहीं हो सकता !
इससे ज्यादा घिनौना
कुछ नहीं हो सकता !
इससे ज्यादा शर्मनाक
कुछ नहीं !
हवस की आग को ठंडा
करने के लिए गुनाह के गर्त में इससे ज्यादा नहीं गिरा जा सकता...पूरे वाकये को
सुनकर आप हक्का-बक्का रह जाएंगे क्योंकि जब आप को पता लगेगा कि गुनाह को अंजाम
देने के लिए 10 रुपए को जरिया बनाया गया....मुजरिम के बारे में सोचकर अपके दिमाग
का गुस्सा जितना बढ़ेगा...मासूम की सूरते हाल सुनकर आपकी आंखों में पानी आ जाएगा।
क्योंकि वो मासूम महज 6 साल की थी...उसे दुनियादारी के बारे में ज्यादा पता नहीं
था...लेकिन उसके साथ वो किया गया...जिसे वो कभी समझ नहीं सकी...बस चीख और आंसू
बाहर आए।
6 साल की मासूम के
साथ रेप10 रुपए का लालच
देकर ‘दरिंदगी’
सीकर के फतेहपुर
कस्बे के वार्ड नबंर 35 में सबसे घिनौने वारदात को अंजाम दिया गया...मोमीनपुरा
मोहल्ले के लोग उस वक्त सकते में आ गए जब रोती-बिलकती 6 साल की मासूम अपने घर
पहुंची...और उस मासूम ने जो बयां किया...उसने सब के होश उड़ा दिए। वो मासूम दरगाह
पर दुआ मांगने गई थी...लेकिन दुआ के बीच एक दरिंदा आ गया...जिसने उसे बहलाने के
लिए पहले 10 रुपए का लालच दिया फिर सुनसान जगह पर ले जाकर उसे अपनी हवस का शिकार
बना बैठा।
हैवानियत
की हद पार हुई !
गिरफ्तार
हुआ मासूम का ‘मुजरिम’
फतेहपुर
पुलिस उपाधीक्षक विनोद कालेर के मुताबिक वार्ड 35 के मोमीनपुरा मोहल्ला की रहने वाली 6 साल की बच्ची को उसके घरवालों
ने दुकान पर सामान लाने भेजा था...लेकिन इस बीच वो कब्रिस्तान के पास मौजूद दरगाह
पर दुआ मांगने चली गई। लेकिन इस दरमियां चेजारों मोहल्ले का रहने वाला दिलशाद उस
मासूम का पीछा करने लगा...और उस मासूम के पास पहुंचने के बाद उसने उसे 10 रुपए का
लालच दिया और फिर कब्रिस्तान के पास बने एक मकान में ले जाकर उसकी इज्जत को रौंद
दिया। वारदात के बाद मासूम खून से लतपत अपने घर आई...पहले तो घर वालों को कुछ समझ
नहीं आया...लेकिन जब मासूम ने हिचकते हुए पूरे वाकये का ब्योरा दिया तो परिवार के
लोगों के होश उड़ गए...बाद में पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया...पूरे मामले की
जानकारी पुलिस को दी गई। फिलहाल पुलिस ने केस दर्ज करते हुए आरोपी को हिरासत में
ले लिया और आगे की कार्रवाई कर रही है…आगे की तस्वीर कैसी होगी इसे फिलहाल
बयां नहीं किया जा सकता है।
Saturday 15 November 2014
क्या आपका लाडला बिगड़ रहा है ?
हिंसा सिखा रही है शिक्षा ?
जोधपुर में एक मामूली विवाद के लिए एक छात्र ने दूसरे पर बंदूक तान
दी। अब सवाल है कि क्या शिक्षा के मंदिर में हिंसा का पाठ पढ़ाया जा रहा है...या
फिर ये तालीम घर-घर की है। सवाल ये भी है कि क्या हमारा समाज ही इतना भड़कीला हो
चला है कि बच्चे भी अब हमेशा तेवर में रहते हैं।
छठी के छात्र ने क्यों तानी बंदूक ?
ज्ञान का प्रवाह अब हिंसक हो चला है या सृजन के
स्रोत में ही खोट है...या फिर बेहतर शिक्षा व्यवस्था और तालीम के बीच दावों की
धज्जियां उड़ रही है। बाल दिवस पर बच्चों में संस्कार को बढ़ावा देने के लिए
जोधपुर के पावटा बी रोड़ पर नोबल इंटरनेशनल स्कूल में मेले का आय़ोजन किया गया
था...बच्चों के मनोरंजन के लिए तरह तरह के स्टॉल लगे थे...एक स्टॉल बैलून शूटिंग
का भी था...लेकिन मौज मौस्ती के बीच एक छात्र दूसरे का दुश्मन बन बैठा।
शिक्षा के मंदिर से खत्म हो रहा व्यवहारिक ज्ञान?
विवाद की शुरुआत से पहले दो छात्रों के बीच मौज
मस्ती की अदला बदली हुई थी...एक ने कोल्डड्रिंक पिलाने के बदले एयरगन से बलून को
शूट करवाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन कोल्डड्रिंक पीने के बाद उसने अपना वादा
नहीं निभाया...लिहाजा पहले छात्र ने दूसरे छात्र पर एयरगन तान दी और फायर भी कर
दिया...पूरे वाकये में एक छात्र के सिर में छर्रा तीन इंच धस गया...जिसके बाद उसे
अस्पतला में भर्ती वरवाना पड़ा....लेकिन आपको हैरानी होगी कि ये हिंसक रूप छठी
क्लास में पढ़ने वाले छात्र ने दिखाई थी।
हिंसा के लिए गुनहगार कौन ?
वीओ पूरे वाकये के बाद महामंदिर थाने में
विद्यालय संचालन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कराया गया है। लेकिन सवाल कि
छात्रों पर हावी होती हिंसक प्रवृति का जिम्मेदार कौन है...वो परिवार जो बच्चों
में शांति की भावना नहीं जगा सके...वो ज्ञान का मंदिर जो शांति का पाठ नहीं पढ़ा
सका या फिर हमारा समाज ही है तो हर वक्त हमेशा तेवर में रहता है।
Thursday 13 November 2014
जिगर का क्या कसूर था
12 साल के मासूम ने क्यों की खुदकुशी
12 साल के मासूम का कसूर क्या इतना अजीम
था...कि उसे माफ नहीं किया जा सकता था...और मजबूरन उसे मौत का रास्ता चुनना पड़ा।
बच्चे देश का भविष्य होते हैं अब इस बात पर कौन यकीन करेगा। मासूम विद्या के मंदिर
में कुछ हासिल करने की तालीम लेते हैं इस पर एतबार किसको होगा...क्योंकि जिस
विद्या के मंदिर में तालीम दी जाती है...अब उसी मंदिर से मौत का फरफान एक बच्चे के
दिलो-दिमाग में घर कर गया था। उसे इतना सताया गया....इतना कोसा गया...उसे लोहे और
लकड़ियों के बेत से इतना जलील किया गया कि उसने दुनिया को अलविदा कहने का आखिरी और
अटल फैसला किया।
क्यों
दुनिया को छोड़ गया जिगर ?
वो
तो दुनिया को छोड़ गया लेकिन एक परिवार के लिए सदमा और आंसू का सागर यहीं छोड़
गया....इस कहानी का दर्द सिर्फ एक परिवार को नहीं है...माफ करिए ये कहानी
नहीं...हकीकत है...हमारे तैयार होते सपनों की....सच्चाई है विद्या के मंदिर में
दिए जाने वाले ज्ञान की और पैदाम है भारत की आवम के लिए। अब बच्चों को स्कूल मत
भेजना क्योंकि मास्टर जी मारते हैं...डांटते हैं...काम का बोझ लादते हैं...लेकिन
नहीं बताते कि काम को कैसे खत्म करना है। जिस रुलादेने वाली हकीकत से हम आपको
रूबरू करवा रहे हैं वो राजस्थान के सिरोही से ताल्लुक रखती है। पूरा वाकया मोरली
गांव का है...जहां मंगलवार को 12
साल के मासूम ने अपने ही घर की रसोई में अपने आप को रस्सी से टांग दिया और दुनिया
को अलविदा कह दिया। जाते-जाते उसने कुछ अलफाज भी कलमबध किए...उसने कहा कि...
जिगर का सुसाइड नोट
...मैं अपनी मजबूरी की वजह से अपनी जान दे
रहा हूं। मेरे घरवालों को मालूम नहीं है कि स्कूल में पंद्रह दिन से रोज एक-एक
घंटे तक मुझे लकड़ी के डंडे से मारा जाता है। मैं अक्टूबर माह में बहुत बीमार रहा
था। इसलिए मैं अपना स्कूल का काम नहीं कर पाया। दिवाली की छुटि्टयों में अपना पहले
का काम खत्म कर दिया। इसी बीच दिवाली का काम भूल गया...
कौन
है मासूम का मुजरिम ?
मासूम
जिगर ने दुनिया छोड़ी लेकिन सवाल जमाना कर रहा है कि आखिर उसने मौत को क्यों गले
लगाय। उसने सब के सवालों का जवाब अपने सोसाइड नोट में छोड़ा है।
जिगर का सुसाइड नोट
...मैंने दिवाली के बाद सारा काम खत्म
करने की बहुत कोशिश की, लेकिन खत्म ही नहीं हो रहा। हमारे
स्कूल के दो सर तारजी और भरतजी सर मेरी बात सुने बगैर मुझे सुमेरसिंह सर के पास
भेजते थे। वो मुझे लोहे की स्कैल से पीटते थे। मार खाने के बाद जब मैं क्लास में
आता तो एक-एक घंटे तक मुझे लकड़े के मोटे डंडे से मारते थे और बोलते थे कि घर पे
कहा तो मारूंगा मैं तेरे मम्मी-पापा से नहीं डरता.... हमारी स्कूल में कई बार शराब
भी लाई जाती है। हमारे भरतजी सर हमारी लाइन के लड़कों को बहुत मारते हैं। वो भी
बिना किसी गलती के। पूछने पर वे कहते हैं मुझे मजा आता है और गालियां देते हैं।
इनके साथ मिलकर कुछ लड़के हैं जो पूरा दिन बहुत परेशान करते थे। वो हमेशा मुझे
गालियां देते हैं और झूठ बोलकर मुझे सर से पिटवाते हैं कृपया उन्हें कम से कम तीन
साल की सजा हो। उन टीचरों के नाम भरतजी, तारजी
सर उनको कम से कम पांच साल की सजा हो। मेरी आखिरी इच्छा है मैं कोर्ट से निवेदन
करूंगा कि उन्हें सजा दो...
ऐसी
है हमारी शिक्षा व्यवस्था ?
सुसाइड
नोट में उसने स्कूल के तीन अध्यापकों और तीन छात्रों पर लगातार प्रताड़ना करने का
आरोप लगाया है। नोट में इस बात का भी जिक्र है कि तीनों अध्यापकों को पांच साल और
तीनों छात्रों को तीन साल की सजा दी जाए। अब आप ही बताइए कि उस शिक्षा मंदिर का
चरित्र चित्रण कैसे किए जाए और उन गुनहगारों का जिक्र कैसे किया जाए...जिससे 12 साल के जिगर के टुकड़े को इंसाफ मिल
जाए और शिक्षा के मंदिर से दोबारा किसी के मौत का पैगाम न आएं...लेकिन सवाल अभी
यही बना हुआ है जिगर की मौत का जिम्मेदार कौन है...वो हुक्ममरान..जिसने सूबे में
कुछ इस कदर शिक्षा की व्यवस्था कायम की है एक मासूम मौत का रास्ता चुनता है...वो
शिक्षक जो नन्हें से दिमाग में खौफ का किताब लिखते हैं...वो साथी बच्चे जो अपने
साथी छात्रों का इंसान नहीं समझते है...या फिर हमारा समजा ही है जो भविष्य के लिए
बेहतर व्यवस्था कभी कायम ही नहीं कर पाया।
Labels:
मुजरिम कौन ?
Location:
नई दिल्ली, दिल्ली, भारत
Monday 10 November 2014
कालिख महिला की मुंह पर पोती और काला जमाना हो गया !
उस वक्त लोकतंत्र की बलि दे दी गई...जब कानून को ठेंगा दिखाकर एक
महिला के कपड़े उतार दिए गए और मुंह काला कर दिया गया। पंचायत पर पागलपन का ऐसा
भूत सवार हुआ कि समाज के ठेकेदारों ने कबूलनामे की खातिर महिला की इज्जत को ही
सरेआम कर दिया। पूरा वाकया राजसमंद के थुरावड गांव का है जहां
पंचायत के तुगलगी फरमान से सब दंग हैं। 2 नवम्बर को महिला के देवर की मौत हो गई
थी जिसकी हत्या का जुर्म कबूल कराने के लिए पंचो ने महिला की इज्जत को ही सरेआम कर
दिया। वारदात के बाद 30
लोगों की गिरफ्तारी हुई है। 9 के खिलाफ धारा 151 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कालिख महिला के मुंह पर पोती गई लेकिन सवाल है कि मुंह किसका काला हुआ और धब्बा
किस किस पर लगा।
महुं किसका काला हुआ
महिला के बाल काट जा रहे थे, उसके कपड़े उतारे जा रहे थे...उसे भरी
सभा में घुमाया जा रहा था...लेकिन पंचों के कारगुजारियों को रोकने के बजाए समाज के
सब लोग सिर्फ तमाशा देख रहे थे। भौतिकी की भाषा में ये सिर्फ एक तस्वीर
है...लेकिन हमें अफसोस है, 70 MM के जमाने में
भी...हम पूरी तरह से इन तस्वीरों को...आपको नहीं दिखा सकते...लिहाजा, हमें
इन तस्वीरों को धुंधला करना पड़ा.... बावजूद इसके, आपको इन
तस्वीरों को देखना पड़ेगा...इनके अंदर झांकना होगा...इनके अंदर की सूरत को निहारना
पड़ेगा...इन तस्वीरों के अंदर के दर्द को तलाशना पड़ेगा।
क्या है ‘सरकारी’ मजबूरी ?
महिला की आबरू को लेकर समाज की सोच अब सब के सामने हैं...लेकिन वाकये
ने पंचायती राज के मायनों को ही बदल दिया है...अब कौन कहेगा कि सब को बराबरी का हक
देने की कोशिश में हैं हमारे हुक्मरान...अब कौन कहेगा कि सूबे की सूरत बदल रही है।
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