खोखले दावों में अपराध कम कर डाला !
कुछ कहूं इससे पहले ये बाताइये कि इन आंकड़ों को देखने के बाद आपके
दिमाग में क्या ख्याल आतें हैं।
1 लाख पुलिसकर्मियों के पास महज 12 हजार हथियार हैं
साल 2011 में पुलिस पर हमले के 23 मामले दर्ज हुए
साल 2013 में ये आंकड़ा 47 पर जा पहुंचा
साल 2014 जुलाई तक 23 मामले और दर्ज हुए
(ये आंकड़े राजस्थान के हैं)
इन आंकड़ों और दावों की बाच का फर्क बताएं उससे पहले बताते हैं कि देश
के गृह मंत्री अपने विभाग के बारे में क्या सोचते हैं।
(राजनाथ सिंह, गृह मंत्री:
सिलेबस
पुराना हैं...मुझे नहीं लगता कि बदली हुई परिस्थियों में हम अपराधियों का मुकाबला
कर सकते हैं)
बहुत हो गई हौसलों की उड़ान
केंद्र के गृह मंत्री को बदली हुई परिस्थियों में बदला हुआ सिलेबस
चाहिए...लेकिन सूबे में पुलिस अकादमी के डॉयरेक्टर पद को सुशोभित कर रहे बीएल सोनी
ने जैसे पहले ही सारा सिलेबस बदल दिया हो।
(बीएल सोनी, डायरेक्टर, पुलिस अकादमी: हर आदमी की अपनी कैपेसिटी है...लेकिन हम
अंतर्राष्ट्रीय पुलिस से कम नहीं हैं)
बिना हथियार अपराध पर कैसे लगे लगाम ?
तो सुना आपने इन्हें अपने विभाग पर इतना गुमान है कि ये अपनी पुलिस की
तुलना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रहे हैं...भले ही इनका विभाग अर्दली की पत्नी से रेप
के आरोप में अपने ही IPS अधिकारी मधुकर टंडन को 17 साल से नहीं खोज पाया
है। पुलिस की वाहवाही के और भी दावें हैं...
(गुलाब चंद कटारिया, गृह मंत्री, राजस्थान: राजस्थान सबसे पहला
राज्य है, जिसने पुलिस एक्ट को दुरुस्त किया)
डंडे का हो रहा AK 47 से मुकाबला !
पुलिस एक्ट दुरुस्त हो गया...लेकिन एक्ट को लागू करवाने वाले अभी भी
डंडे के सहारे AK 47 का सामना कर रहे हैं...अभी कुछ रोज पहले का ही मामला है...जब
कुख्यात अपराधी का पीछा कर रही पुलिस टीम पर हमला हुआ... हमले में हैड कांस्टेबल
फैज मोहम्मद की मौत हो गई...उनके सम्मान में शहादत की शहनाई बजाई गई...और बस पुलिस
का काम पूरा हो गया....जांच हुई ...तो बदमाशों की गाड़ी में बड़े हथियार
निकले...हम तो चौंक गए...कि प्रदेश की पुलिस डंडों के सहारे एके-47 का सामना कर
रही थी...जाहिर है ...कि ऐसे तो हाईटैक बदमाशों के आगे सूबे की खाकी लुटी पिटी ही
नजर आएगी
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