छात्र संघ चुनाव के परिणाम रद्द क्या हुए, राजस्थान यूनिवर्सिटी के
छात्रों ने पूरे विश्वद्यालय को ही आखाड़े में बदल दिया...लेकिन इसके पीछे की वजह
को तलाशने की कोशिश किसी ने नहीं की।...उन्होंने भी नहीं जिन्हें सिसासत का बड़ा
तजुर्बा हासिल था...उस तजुर्बे के बाद भी वो सियासत की पहली पाठशाल को हिंसक होने
से नहीं रोक सके।
समझते नहीं वो कुछ भी
आप तो समझदार थे !
बवाल...बवाल और सिर्फ बवाल...लेकिन इस बीच किसी ने ये नहीं सोचा कि
अगर वक्त रहते वो कदम उठाते तो ये बवाल हिंसक तकरार में तब्दील नहीं होता। गुरुवार
को हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव के परिणाम को रद्द किया तो शुक्रवार को सबकी शामत आ
गई। गुट में सब निकले...अखिल भारतीय विद्यापरिषद भी...भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ
भी और दूसरे समर्थक भी...और इस बीच ज्ञान पीठ रण भूमि में बदल गया।
फैसले के 24 घंटे बाद भी
सुरक्षा के लिए क्यों नहीं तैयार थे ?
लात घूंसों की बरसात हुई...पुलिस के साथ तकरार हुई...और पुलिस छात्रों
पर बलवा इस्तेमाल करती दिखी...लेकिन निपटारे की शुरुआत थोड़ी जल्दी होती तो शायद सुरक्षा
को यूं चुनौती नहीं दी जाती। पुलिस की चुस्ती देखते बन रही थी...लेकिन
छात्रों के तेवर के आगे बौनी साबित हो रही थी...क्योंकि पुलिस और प्रशासन की
सक्रियता एक लंबी सुस्ती के बाद दिखी थी। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि गुरुवार
के मामले को शुक्रवार को निपटाया जा रहा था। मुद्दा गर्म हो चुका
था...छात्र हिंसक हो चले थे..क्योंकि बात सियासत की पहली पाठशाला की थी...लेकिन जिन्हें
सियासत का बड़ा तजुर्बा हासिल था वो सब जानकर भी समझने को तैयार नहीं थे।