राजस्थान में निकाय चुनाव से पहले बगावत ?
सूबे में निकाय चुनाव करीब हैं...और टिकट की
जुगत में दावेदारों में बवाल मचा हुआ है...लेकिन दोनों ही पार्टियों का कहना है कि
ऑल इज वेल...लेकिन सवाल है कि अगर टिकट की दावेदारी को लेकर सब कुछ ठीक है तो
पीसीसी दफ्तर के आगे कर्यकर्ता ने हंगामा क्यों खड़ा किया और बीजेपी के
कर्यकर्ताओं ने अपना गुस्सा जाहिर क्यों किया।
नहीं मिलेगा सबका साथ ?
निकाय चुनाव की सभी तैयारियां करीब करीब
मुकम्मल हो चुकी हैं...लेकिन फिर भी सूबे की सियासत में ये सवाल सामने आ रहे हैं
कि आखिर सियासी फिजाओं में अनमनी क्यों है और टिकट के दावेदारों में तनातनी क्यों
दिख रही है। आज बात सिर्फ तकरार पर होगी क्योंकि जीत की जुगत और टिकट की होड़ में
दावेदारों ने बवाल खड़ा कर दिया है।
क्या है पार्टी की सोच ?
पार्टी मानती रहे कि ऑल इज वैल...लेकिन बगावत
की बू सियासी पार्टियों के दोनों छोर से आ रही है...और ऐसा लग रहा है कि पार्टी
छावनी में तब्दील हो चुकी है। समर्थकों को खुश रख पाना दोनों ही पार्टियों के लिए
टेड़ी खीर साबित हो रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा के दौरान जहां
नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं ने पीसीसी के दफ्तर पर जमकर हंगामा किया
कैसे रुकेगा संगर्ष ?
सिसासी संघर्ष में बंटवारे ने कुछ यूं लकीरें
खींची हैं कि अब तो कहना ही पड़ेगा कि लड़ोगे तो भंवर से भी उबर जाओगे...नहीं तो
खींचतान की लापरवाही कहीं किनारे पर ही न डुबो कर रख दे।
दावेदारों की ख्वाहिश
टिकट के दावेदार कह रहे हैं कि हमारी दावेदारी
पर मुहर लगा तो...बुझती लौ को जरा सा जगा दो। लेकिन पार्टियो के हंगामे ने सवाल
खड़े कर दिए हैं कि कुछ तो है जो छुपा रही है पार्टी... वरना पार्टी के नेता अपने
अलफाजों को इस कदर संवार क्यों रहे हैं।
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