शहर में हंगामा, विवादों में रचनाकार
क्या
माडर्न आर्ट यानी नायाब रचना, आस्था को चोट पहुंचा रही है या भारतीय रचनाकार
ग्लोबल हो चले हैं। जयपुर में एक कलाकार की कलाकारी ने शहर में बखेड़ा खड़ा कर
दिया...क्योंकि इस बार रचनाकार के दिमाग से भगवान ने सीधे शौचालय में दस्तक दी थी।
अब सवाल है कि क्या रचनाकार की बहती भावना ने धर्म में अधर्म की स्थिति पैदा कर दी
है।
स्वच्छता के महत्व को कुछ यूं बताया गया
गुलाबी
नगरी की फिजाओं में मॉडर्न आर्ट की दस्तक ने हंगामा खड़ा कर दिया है। मौका था
जयपुर आर्ट समिट में अपनी रचना दिखाना का, लिहाजा एक रचनाकार ने अपनी रचना से सबको
चौंका दिया है। स्वच्छता की गंभीरता को समझाने के लिए उन्होंने शौचालय में
इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट पॉट और कमोड पर अपनी रचना की पेशगी करते हुए गणपति की
आकृति उकेर दी। इधर उनका मार्डन ऑर्ट सबके सामने आया तो उधर सामाजिक संस्थाओं ने
बखेड़ा खड़ा कर दिया।
अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता से ऐसे हुआ खिलवाड़ !
अब सवाल है कि क्या सच में इस बार रचनाकार की नई
पेशकश ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है...क्या मार्डन आर्ट की दस्तक ने अस्था के
अस्तित्व को चोट पहुंचाई है...ये सवाल इसलिए क्योंकि शहर में हंगामा है और विवादों
में रचनाकार।
आस्था से खिलवाड़ !
विवाद बढ़ा तो
आयजकों ने माफी मांग ली...रचना की आहूति चढ़ रहे आस्था से किनारा कर लिया...लेकिन
सवाल है कि क्या स्वच्छता को परिभाषित करने के लिए रचना को शौचालय में ही उकेरना
जरूरी हो गया था....और ये भी कि अगर धर्म और स्वच्छता के बीच चुनाव की स्थिति पैदा
हो जाए तो चुनाव की शुरुआत कहां से की जाए।
No comments:
Post a Comment