जयपुर: क्या गांव में पढ़ी लिखी सरकार के नाम
पर फिर से अनपढ़ सत्ता में काबिज हो रहे हैं...क्या सियासत की बिसात पर फर्जी
मर्कशीट का दांव खेला जा रहा है। ये सवाल इसलिए क्योंकि हनुमानगढ़ और पाली में
फर्जी मार्कशीट वाले सरपंच दिखे हैं... जैसलमेर में साक्षरता का रिकॉर्ड ही जला
दिया गया है...। आज बिग बुलेटिन में बात इसी मुद्दे पर लेकिन उससे पहले देखिए ये
रिपोर्ट।
एक तो किया फर्जी काम !
फिर मिटाया सर्टीफिकेट से नाम !
पंचायत
चुनाव के बाद...कहने को तो गांव में पढ़ी लिखी सरकार थी...लेकिन उनके सर्टिफीकेट
के अक्षर सौदेबाजी की कहानी को बयां कर रहे थे...हर अक्षर अनपढ़ों को पढ़ा लिखा
बता रहे थे...हर मुहर काली स्याही के रंग से छपी दिख रही थी।
आग लगा दी ‘सच्चाई’ में
कैसे करें झूठों की पहचान ?
जिनकी
उम्र 40 साल थी उनका सर्टिफीकेट भी बहत्तर में बना था...जो 33 के थे...वो भी बहत्तर
से ही बाहर आ रहे थे। हनुमानगढ़ और पाली में फर्जी मार्कशीट वाले सरपंच दिखे...तो
जैसलमेर में साक्षरता का रिकॉर्ड ही जला दिया गया।
चुनाव के लिए फर्जीवाड़ा
सियासत
में अगर थोड़ा -बहुत ईमान हो जाए....डर है कि सोने की चिड़िया फिर से हिन्दुस्तान ना
हो जाए। लेकिन सियासतदानों की ख्वाहिश...फरेब का ऐसा जाल बुन रही है...कि उनका
फर्ज सत्ता की ललक पाले दिख रहा है...और उनकी शिक्षा फर्जीवाड़े का दीदार करवा रही
है। अब सवाल है कि आज के भ्रष्टाचार की लंका कैसे जलेगी..क्या इस दौर में कोई
सियासी हनुमान जैसा पैदा होगा।
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