धीरे-धीरे सुलगा रहे
गीली लकड़ी मजहब की !
फेंक गया स्कूल में कोई
जलती तीली मजहब की !
जयपुर: सूर्य नमस्कार को राजस्थान सरकार ने स्कूलों में
अनिवार्य कर दिया है। अब सवाल है कि क्या, सूर्य नमस्कार के जरिए, सूबे की सत्ता,
मजहवी ध्रुवीकरण पैदा कर रही है। शिक्षा के मंदिर में ‘मजहब’ मजबूरी सी दिखी। इजहार-ए-तरीका...तालीम
की जगह ले गया...मानों अब इसके तामील से ही सारे तालीम हासिल होंगे। मजहब का मजाक
या मजहबी ज्ञान मजबूर कर रहा है।
माहत्मा गांधी ने कहा था...धर्म जीने का तरीका है...लेकिन बीजेपी की
सत्ता में धर्म सियासी पाठ हो गया...मानों अगर इससे शुरुआत नहीं होगी... तो किताबें
ज्ञान देने बंद कर देगी। अक्षर दिखाई देना बंद हो जाएंगे।
सूर्य को सब देखते हैं...उसकी रोशनी से सब प्रकाशित होते हैं...उसके
अतस्तिव पर किसी ने सवाल नहीं उठाया...किसी के लिए वो रोशनी की किरण है...किसी के
लिए विधाता की रचना...लेकिन पता नहीं सूबे की सत्ता ने खुद को कब से विधाता मान
लिया और इबादत का तरीका भी इजाद कर दिया।
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